1 अगस्त 2025 से UPI सिस्टम में तीन बड़े बदलाव लागू हो रहे हैं जो हर रोज़ UPI यूज करने वालों को सीधे तौर पर प्रभावित करेंगे। बैलेंस चेक करने की सीमा तय कर दी गई है, पेमेंट स्टेटस चेक की प्रक्रिया भी बदल दी गई है, और ऑटो-पेमेंट्स का टाइम-स्लॉट शिफ्ट किया गया है।
इन बदलावों का मकसद है UPI सिस्टम पर बढ़ते लोड को कंट्रोल करना और सर्विस की स्पीड को बेहतर बनाना। खासतौर पर छोटे दुकानदार और रेगुलर ट्रांजैक्शन करने वालों को अब ट्रांजैक्शन हैबिट्स में बदलाव लाना होगा। अगर आप UPI से पेमेंट्स करते हैं, बैलेंस चेक करते हैं या ऐप्स और सब्सक्रिप्शन के लिए ऑटो-पेमेंट का इस्तेमाल करते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं 1 अगस्त से लागू होने वाले नए UPI नियमों की पूरी जानकारी आसान और स्पष्ट भाषा में।
UPI में 1 अगस्त से होंगे ये 3 बड़े बदलाव
1. बैलेंस चेक करने की लिमिट होगी सिर्फ 50 बार
अगर आप दिन में कई बार UPI ऐप से बैलेंस चेक करते हैं, तो अब थोड़ा संभल जाइए। 1 अगस्त 2025 से, एक UPI ऐप से सिर्फ 50 बार बैलेंस चेक किया जा सकेगा। अगर आप दो अलग-अलग UPI ऐप्स इस्तेमाल करते हैं, तो हर ऐप पर 50 बार लिमिट होगी।
अगर इससे ज्यादा बार बैलेंस जानना हो, तो आपको अपने बैंक के ऐप या नेटबैंकिंग का इस्तेमाल करना पड़ेगा। NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) के अनुसार, यह कदम UPI सिस्टम पर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए लिया गया है, खासतौर पर उन समयों में जब ट्रैफिक सबसे ज्यादा होता है – सुबह 10 से दोपहर 1 और शाम 5 से रात 9:30 बजे के बीच। छोटे दुकानदार, जैसे चाय या सब्जी विक्रेता, जो बार-बार पेमेंट रिसीव करते हैं, उन्हें इस बदलाव से सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
2. ऑटो-पेमेंट्स अब केवल नॉन-पीक टाइम पर ही होंगे
UPI से जुड़े ऑटो-पे मैनडेट्स (AutoPay Mandates) की प्रक्रिया तो पहले जैसी ही रहेगी, लेकिन अब इनमें टाइमिंग को लेकर बड़ा बदलाव होगा। 1 अगस्त से आपके ऑटो-पेमेंट्स (जैसे नेटफ्लिक्स सब्सक्रिप्शन, EMI या ऐप्स के पेमेंट) अब पीक आवर्स में प्रोसेस नहीं होंगे। यानी सुबह 10 से दोपहर 1 बजे और शाम 5 से रात 9:30 बजे के बीच पैसे आपके अकाउंट से नहीं कटेंगे।
इन सब्सक्रिप्शन और EMI के ऑटो डेबिट अब नॉन-पीक टाइमिंग में ही पूरे किए जाएंगे। इसका उद्देश्य है UPI नेटवर्क पर ट्रैफिक को बैलेंस करना, ताकि बाकी यूजर्स को पेमेंट प्रोसेसिंग में परेशानी ना हो।
3. फेल पेमेंट का स्टेटस चेक करने का तरीका भी बदला
UPI से पेमेंट करते समय कभी-कभी ट्रांजैक्शन पेंडिंग या फेल हो जाते हैं। अब ऐसे मामलों में यूजर सिर्फ 3 बार ही ट्रांजैक्शन का स्टेटस चेक कर पाएंगे, वो भी हर बार 90 सेकेंड के गैप के साथ। अभी तक यूजर्स बार-बार पेमेंट स्टेटस को रिफ्रेश कर लेते थे, जिससे सिस्टम पर एक्स्ट्रा लोड पड़ता था। लेकिन अब UPI प्लेटफॉर्म पर ये फ्रिक्वेंट स्टेटस चेक API कॉल्स ब्लॉक हो जाएंगी।
इसका मतलब ये भी है कि आपको पेमेंट सक्सेस हुआ या नहीं – इसका कन्फर्मेशन तुरंत नहीं मिलेगा। कम से कम 90 सेकेंड इंतजार करना जरूरी होगा।
ये बदलाव क्यों जरूरी हैं?
इन तीनों बदलावों का एक ही मकसद है – UPI सिस्टम पर बढ़ते ट्रैफिक को बैलेंस करना और नेटवर्क को डाउन होने से बचाना।
मार्च और अप्रैल 2025 में जब UPI डाउन हुआ था, तब करोड़ों यूजर्स को पेमेंट करने में दिक्कत आई थी। इस तरह की दिक्कत दोबारा ना हो, इसलिए NPCI ने ये बड़े कदम उठाए हैं। अगर आप रेगुलर UPI यूजर हैं, तो अब से आपको थोड़ा स्मार्ट तरीके से ऐप का इस्तेमाल करना होगा – ना बार-बार बैलेंस चेक करें, ना पेंडिंग पेमेंट्स को बार-बार रिफ्रेश करें।
1 अगस्त 2025 से UPI सिस्टम में जो बदलाव आ रहे हैं, वो हर यूजर के लिए जानना जरूरी है। बैठे-बिठाए पेमेंट फेल, बैलेंस ना दिखना या ऑटो-पेमेंट में देरी से बचना है, तो इन नियमों को अपनाना ही होगा। आगे चलकर ये बदलाव UPI को और बेहतर और स्थिर बनाएंगे, जिससे आपकी डिजिटल पेमेंट्स का एक्सपीरियंस स्मूद बना रहेगा।